3 महीने से केंद्र से नहीं आ रही सप्लाई, मप्र में 60 हजार टीबी मरीजों की दवाएं खत्म

1980 के दशक के बाद पहली बार प्रदेश में टीबी की दवाएं नहीं बचीं

भोपाल – देशभर में टीबी की दवाओं की कमी के बीच मध्य प्रदेश में भी संकट गहरा ग्रया है। 1980 के दशक के बाद पहली बार प्रदेश में टीबी की दवाएं ही नहीं बचीं। टीबी के मरीजों को चार दवाओं की निश्चित खुराक 4 एफडीसी और 3 एफडीसी दी जाती है, जिसमें आइसोनियाजिड+रिफैम्पिसिन+एथमबुटोल+पाइराजिनामाइड निश्चित खुराक कॉम्बिनेशन के रूप में उपयोग होती है, लेकिन प्रदेश के 95% सरकारी अस्पतालों में ये दवाएं भी नहीं हैं।
ऐसे में टीबी के 60 हजार से अधिक मरीजों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। करीब 3 माह से यह कमी बनी हुई है। राज्य के अफसरों का तर्क है कि केंद्र सरकार से ही दवाएं उनके पास नहीं आई है। दवा नहीं मिलने पर राज्य ने मप्र हेल्थ काॅर्पोरेशन के जरिए दवाओं के लिए वर्कऑर्डर जारी किया है। टीबी की दवा वाली 20 हजार स्ट्रिप मुंबई से मंगवाई हैं, जो भोपाल पहुंच गई हैं। राज्य टीबी अधिकारी के अनुसार, पहली बार जेम पोर्टल से टीबी की लोकल पर्चेस करने के लिए कहा गया है।

केस-1

मैं बीते 15 दिन से टीबी अस्पताल के चक्कर काट रहा हूं। हमें हर दिन यह कह दिया जाता है कि टीबी की दवाएं ही नहीं है। जो पर्चो लिखा जाता है उसमें बच्चों की दवाएं डबल डोज करके दी जा रही है।
इब्राहिम खान, इतवारा, भोपाल

केस-2

खांसते-खांसते मुंह से खून निकलने की शिकायत लेकर टीबी अस्पताल आई थी लेकिन यहां बाहर से दवाएं लाने के लिए पर्चा लिखा गया है यहां दवा स्टोर में दवाएं नहीं होने की बात कहकर हमें कोई दवाएं नहीं दी गई। -यश लोधी, कोटरा, भोपाल

ये है टीबी के टॉप 5 जिले

छतरपुर –16399
भोपाल–10792
ग्वालियर–9527
बुरहानपुर–2500
अशोकनगर–2700

भारत में टीबी दवाओं की केवल 3 या 4 प्रमुख दवा कंपनियां ही हैं। वे ही टेंडर के जरिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को टीबी की दवाओं की सप्लाई करती हैं। कई राज्यों ने कंपनियों से संपर्क किया तो कंपनियों के पास भी टीबी की दवाओं का पर्याप्त स्टॉक नहीं था, जिससे राज्य टीबी की दवाएं खरीदने में असफल रहे। महाराष्ट्र सरकार ने 1.6 करोड़ रु. का विशेष बजट स्वीकृत किया पर उसे टीबी की दवा सप्लाई करने वाला थोक विक्रेता नहीं मिल पाया।